The Ultimate Guide To Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana



डर हमारे अंदर मौजूद एक अवरोधक गुण (कारक) है जो हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचने या वह करने से रोकता हैं जो हम करना चाहते हैं। डर (भय) हमें मार्ग से भटकाने और बहाने बनाने के लिए मजबूर करता है। यह सीखना की डर को कैसे दूर करें, स्वयं को मानसिक रूप से स्वतंत्र करने का अहम कदम है

ये तो प्रकृति का उसूल है की नया आएगा और पुराना जाएगा. तो हर वक़्त मरने के बारे में सोच सोचकर बिलकुल भी परेशान ना हों, मौत एक दिन सबकी होनी ही है.

ये ज़माना आपको कभी भी आगे नहीं बढ़ने देगा और आप पिछड़ते ही चले जायेंगे. तो डर को अपने मन से निकालना बहुत ही जरूरी है.

डर बहुत गहरा या पुराना हो सकता है। यदि आप:

यदि आप किसी निश्चित समय सीमा या आगामी घटना के बारे में डर महसूस करते हैं, तो इसे अपने कार्य की योजना बनाने और सोच-समझकर तैयार करने के अवसर में बदल दें, फिर भले ये पेपर शुरू करना हो, प्ले के लिए प्रैक्टिस करना हो या फिर एक स्पीच here के लिए प्रैक्टिस करना हो।

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यदि आप हमेशा सोचते हैं तो सबसे पहला कदम सक्रत्मकता हैं

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ध्यान रखिये यहाँ कोई किसी का सगा नहीं होता, किसी पर किसी का हक नहीं होता. बस ये सब तो हमें ज़िन्दगी जीने के लिए खुद पैंतरे बनाये हैं.

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जैसे हाथ पैंर कांपने लगना, सांस भारी हो जाना, दिल की धड़कन तेज हो जाना और कभी कभी चक्कर आ जाना. इन शारीरिक लक्षणों के साथ साथ हमारी मानसिक हालत भी कमजोर हो जाती है.

तो कहने का मतलब ये है की डर और घबराहट को बढाने में नशीली चीज़ों का बहुत बड़ा हाथ होता है. तो यदि आप पहले से ही डरे डरे रहते हैं तो ये चीज़ें आपको और ज्यादा कमजोर कर देती हैं.

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